Monday, June 9, 2025

"थोड़ा और रुक जाओ ना"


 बाद चले जाओ ना, कोई रोक तो नहीं रहा तुमको।                                


थोड़ा और रुक जाओ ना ,कोई भेज तो नहीं रहा तुमको।

किस्मत से मिलते हैं सच्चे दोस्त,फिर मिले ना मिले हमको।

जहां जाओगे याद आएंगे हम, भूल नहीं पाओगे हमको।

छोटे से समय में काम बड़ा कर दिया तुमने।

बना ली मन में एक जगह, बसा ली एक छबि तुमने।

जीवन के रास्ते में मिलेंगे कई, पर न तुमसे और न हमसे।

दिल में कुछ ऐसी बात न रखना ,जो भूलकर हो गई हो हमसे।

भारी दिल और नम आंखों से भेजेंगे, छूट नहीं पाओगे दिल - से।

फिर, कहां, कैसे मिलेगा कोई, निस्वार्थ प्रेम मिलता है मुश्किल से।

खूब सफल होते जाना पर, बनाए रखना ऐसी ही सादगी।

वक्त निकालकर मिलने आना , बड़ी दूर जाने के बाद भी।

बहुत याद आओगे खुशबू, अभिषेक, तनुष ,कृषा।

याद आकर मायूस दिल को गुदगु दाओगे हमेशा।

बाद चले जाओ ना, थोड़ा और रुक जाओ ना, हां 🥺, थोड़ा और रुक जाओ ना।

  हृदय से , हृदय तक, के द्वारा।

   रानी सोलंकी (श्री)+91 97533 18104