Monday, June 9, 2025

"थोड़ा और रुक जाओ ना"


 बाद चले जाओ ना, कोई रोक तो नहीं रहा तुमको।                                


थोड़ा और रुक जाओ ना ,कोई भेज तो नहीं रहा तुमको।

किस्मत से मिलते हैं सच्चे दोस्त,फिर मिले ना मिले हमको।

जहां जाओगे याद आएंगे हम, भूल नहीं पाओगे हमको।

छोटे से समय में काम बड़ा कर दिया तुमने।

बना ली मन में एक जगह, बसा ली एक छबि तुमने।

जीवन के रास्ते में मिलेंगे कई, पर न तुमसे और न हमसे।

दिल में कुछ ऐसी बात न रखना ,जो भूलकर हो गई हो हमसे।

भारी दिल और नम आंखों से भेजेंगे, छूट नहीं पाओगे दिल - से।

फिर, कहां, कैसे मिलेगा कोई, निस्वार्थ प्रेम मिलता है मुश्किल से।

खूब सफल होते जाना पर, बनाए रखना ऐसी ही सादगी।

वक्त निकालकर मिलने आना , बड़ी दूर जाने के बाद भी।

बहुत याद आओगे खुशबू, अभिषेक, तनुष ,कृषा।

याद आकर मायूस दिल को गुदगु दाओगे हमेशा।

बाद चले जाओ ना, थोड़ा और रुक जाओ ना, हां 🥺, थोड़ा और रुक जाओ ना।

  हृदय से , हृदय तक, के द्वारा।

   रानी सोलंकी (श्री)+91 97533 18104


Thursday, May 15, 2025

गॉड,परमेश्वर तुझ तक आएगा


 " परमेश्वर तुझ तक आएगा"

चलते -चलते थक जाएगा,तब मंदिरों को जाएगा।

घुटने नमा , मस्तक झुका, हाथों को जोड़े जाएगा।

बंदे तू ऐसा काम कर, दुनिया को याद तू आएगा।

बस इंसानियत को याद रख, परमेश्वर तुझ तक आएगा।

ईश्वर को खोजा नहीं करते, हर पल तू उसको पाएगा।

इंसान है बस, इंसान बन,फिर ईश्वर को भी पाएगा।

            रानी सोलंकी शिक्षक एवं गीतकार 

           देवास मध्यप्रदेश  +91 97533 18104

                      

      

Wednesday, May 14, 2025

" प्रीत "

 " प्रीत "       


          

दे रही हूं तुम्हें प्रीत की वंदना,

बांध प्रेम - डोर साध मन की साधना।

चंचल, चपल नयन न्यारे,

मिश्री से मीठे बोल तुम्हारे।

गौर वर्ण पर तीक्ष्ण नक्श,

रसीला कहने आतुर सुराहीदार कंठ।

कद - काठी सादी धारी पर,

कलम उतारे बुद्धिशाली हस्त- लेखन।

मृगनयनी से नयन लिए हो,

उस पर मृगतृष्णा और गति मृग- सी ।

सब खातिर भरा हृदय विशाल,

पीड़ा सब संग सह- सह करके,

शब्दों से दे आधी पीर निकाल।

तुम संग रंग में रंग - रंग हम भी,

 प्रीत की प्रीत से ओतप्रोत हैं|

प्रीत की प्रीत से अभिभूत हैं।

           "  श्री " (रानी सोलंकी) देवास मध्यप्रदेश